मंगलवार, 8 सितंबर 2015

pargana of etah-2

प्रशासनिक इकाई के रूप में परगना
19वीं सदी की औद्योगिक क्रान्ति से पूर्व किसी भी शासन की आय का प्रमुख आधार उसका भूराजस्व ही होता था। अतः स्वाभाविक था कि शासन इस भूराजस्व की उगाही के लिए एक ऐसी पद्वति का विकास करते जिससे उनके राजस्व-प्राप्ति के प्रयास सुसंगत व सुव्यवस्थित हों। प्राचीन भारतीय नरेशों द्वारा इस भूराजस्व को पाने के लिए जिस भुक्ति या विषय नामक प्रशासनिक इकाई की स्थापना की थी कमोवेश उसी का मध्यकालीन स्वरूप परगना है।
सौभाग्य से इतिहास में परगना शब्द का पहला प्रयोग अपने जनपद के मारहरा के लिए अलाउद्दीन खिलजी काल का मिलता है। अनुश्रुति है कि मारहरा के तत्कालीन नरेश राजा स्वरूपसिंह द्वारा स्थापित स्वरूपगंज सहित उनके राज्य पर अधिकार कर सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने इसे एक अलग प्रशासनिक क्षेत्र बनाते हुए इसे परगना नाम दिया।
परगना नामक प्रशासनिक इकाई के प्रयोग के सर्वाधिक असंदिग्ध अभिलेख बादशाह अकबर के समय लिखी गयी ‘आईन-ए-अकबरी’ में मिलते हैं। इसके अनुसार  जनपदीय क्षेत्र का जलेसर परगना आगरा सूबा के अंतर्गत सरकार आगरा का भाग था यहां एक ईंटों का किला भी था। इस काल में यहां कृषियोग्य क्षेत्र 904733 बीघा था जो अकबर को 6835400 दाम राजस्व देता था। जलेसर से 400 घुडसवार तथा 5000 पैदल सैनिक भी दिये जाते थे। जबकि जिले का पटियाली, सकीट, सहावर, सिकन्दरपुर अतरजी परगना सरकार कन्नौज का भाग था। इसमें पटियाली 158634 बीघा का 158634 दाम देनेवाला महाल था जो 100 घुड़सवार तथा 2000 पैदल सैनिकों की आपूर्ति करता था। वहीं सकीट 132855 बीघा का 3230752 दाम का परगना था जो 100 घुड़सवार तथा 3000 पैदल सैनिकों की आपूर्ति करता था।
इस काल में परगना सहावर 20 घुड़सवार व 500 पैदल सैनिक देता था जबकि सिकन्दरपुर अतरेजी 5 सशस़्त्र तथा 150 पैदल सैनिक देता था। ये दोनों परगने उस काल में 114658 बाीघा के अकबर को 521867 दाम के परगने थे। दोनों को बाद में सहावर-करसाना नाम से एक कर दिया गया। जिले का सौंहार परगना इस काल में बरना का भाग था।
 मारहरा, बिलराम, सोरों, पचलाना व सिढ़पुरा परगने सरकार कोल के अंतर्गत मारहरा दस्तूर के अंतर्गत थे तो जिले का 253120 बीधा कृषि भूमि का फैजपुर बदरिया परगना महल सहसवान के अंतर्गत बदायूं सरकार व दिल्ली सूबे का अंग थे।
बिलराम परगने पर इस काल में अफगानों व चैहानों का अधिकार था। यहां से अकबर को 50 घुड़सवार तथा 1000 पैदल सैनिक दिए जाते थे। 111878 बीघा का यह परगना 2131765 दाम राजस्व देता था। पचलाना 39128 बीघा का 624825 दाम राजस्व का परगना था। यहां से 200 घुड़सवार व 5000 पैदल सैनिकों की आपूर्ति होती थी। सोरों इसकाल में राजपूत व सैयदों के अधिकार मंे था। यहां से 20 घोड़े तथा 400 पैदल दिये जाते थे। इसका कृषिक्षेत्र 40656 बीघा था जो 875016दाम राजस्व देता था।
इस काल में सिढ़पुरा 70567 बीघा कृषि भूमि का 989458 दाम का शर्ती राजपूतों के अधिकार का परगना था। जिले का सर्वाधिक बड़ा महाल मारहरा था। राजपूतों के अधिकार क्षेत्र का 205537 बीघा कृषि क्षेत्र का यह परगना 3679582 दाम राजस्व देने के साथ 200 घोडे़ व 2000 पैदल सैनिक भेजता था।
इस सूची में आजमनगर के स्थान पर शम्शाबाद परगना का नाम है। 1909 के जिला गजेटियर के अनुसार इसी का विभाजन कर अठारवीं सदी में आजमनगर नाम से एक नये परगने का सृजन किया गया है। इस सूची में उलाई व निधिपुर परगनों के नाम नहीं हैं। प्रतीत होता है कि या तो इन परगनों का सृजन ही बाद में हुआ है, अथवा इनके तत्कालीन नाम भिन्न थे।

एटा जिला के निर्माण की कहानी
1757ई0 में हुए प्लासी युद्ध के बाद बंगाल का राज्य हथिया लेने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों ने अपनी हड़प नीति को और बढ़ावा देने के लिए कूटनीतिक प्रयत्न करने आरम्भ कर दिये। इन प्रयत्नों के तहत सबसे पहले उन्होंने अवध को दिल्ली की बादशाहत से पृथक कर उसे स्वतंत्र बादशाह की मान्यता दी। फिर उसे राज्य वृद्धि का लालच देकर रूहेलों की शक्ति कम करने के काम में लगा दिया। इस भिड़त में अवध ने मराठाओं व अंगरेजी सेनाओं का भी सहयोग लिया तथा फरूखाबाद के तत्कालीन बंगश नबाव को दबाकर उससे युद्ध-व्यय के नाम पर उसके करीब 31 परगने छीन अपने राज्य में मिला लिये। साथ ही नबाव फरूखाबाद को मराठा सेनाओं को अवध द्वारा दी जानेवाली राशि भी देने को सहमत होना पड़ा।
इस व्यवस्था का परिणाम हुआ कि मराठा जिले के जलेसर-मारहरा परगनों से लेकर इस क्षेत्र के समस्त भूभाग के स्वामी बन गये। इधर इस व्यवस्था से अपने लिए कोई लाभ न होता देख अंगरेजों ने अपने सैन्य-व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए अवध द्वारा नबाव फरूखाबाद से छीने भूभाग लेने के बाद उन्होंने फरूखाबाद के तत्कालीन बंगश नबाव इमदाद हुसैन पर एक निश्चित पेंशन राशि के एवज में राज्य को ईस्ट इंडिया कंपनी को सोंपने का दबाव डाला।
नाबालिग नबाव इमदाद हुसैन द्वारा अंगरेजों के इस प्रस्ताव को अस्वीकार किये जाने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड बंेलेजली अपने भाई हेनरी बेलेजली को इस काम में लगाया। इसने कूटनीति, धोखाधड़ी का सहारा ले पहले नबाव के अधिकारियों को दबाव में लिया। फिर 4 जून 1802 में बरेली में नबाव इमदाद हुसैन को अपने तथा अपने उत्तराधिकारियों के लिए 1 लाख 8 हजार वार्षिक पेंशन स्वीकार कर अपने राज्य को कंपनी को सौंपने को बाध्य कर दिया।
नबाव का राज्य प्राप्त हो जाने के बाद भी इस क्षेत्र में भौगोलिक रूप से अंगरेजों को कोई खास लाभ नहीं हुआ। कारण, इटावा से लेकर कोल(अलीगढ़) तक के यहां के परगने व्यवहारिक रूप से बंगश या अवध के नबाव के अधीन नहीं मराठाओं के अधिकार में थे तथा उनके प्रतिनिधि एटा के अलीगंज तथा वर्तमान कन्नौज जिला मुख्यालय पर रह इन क्षेत्रों की व्यवस्थाएं संभालते थे। वहीं कोल में सिंधिया की फ्रांसीसी सेनापति पेरां के अधीन एक आधुनिक सेना मौजूद थी जिसके व्यय के लिए जलेसर से सहारनपुर तक के परगने पेरां के अधीन किये गये थे।
इस गतिरोध को तोड़ने के लिए अंगरेजी सेना के सेनापति लार्ड लेक ने 1802 में एक सैन्य अभियान किया। इसका प्रत्यक्ष उद्देश्य तो दिल्ली के बादशाह को पुनः दिल्ली के सिंहासन पर आरूढ़ करना था किन्तु छिपा उद्देश्य इस क्षेत्र से मराठा प्रभाव समाप्त करना था।
इस अभियान में दौलतराव सिंधिया के फ्रांसीसी सेनापति पेरां के विश्वासघात के कारण मराठाओं को खासी क्षति उठानी पड़ी। उनके ये समस्त क्षेत्र अंगरेजों के अधिकार में आ गये।
1804ई में अंगरेजों द्वारा इस भूभाग पर अधिकार कर लेने के पश्चात यहां की भूराजस्व प्रणाली को बदले बिना इसे किसी डिस्ट्रिक्ट के हवाले कर तथा वहां कलेक्टर(शुद्ध अर्थ संग्राहक/बसूली करनेवाला) नियुक्त कर इस क्षेत्र के भूराजस्व की प्राप्ति के प्रयास किये।
इसके अंतर्गत सबसे पहले उन्होंने इस समस्त भूभाग को इटावा, फरूखाबाद व इटावा के जिलों में शामिल कर कासगंज के छाबनी गांव में एक सैन्य छावनी स्थापित की। किन्तु इसे 1804 में वहां के विद्रोही जमींदारों ने जला डाला। इसी वर्ष 1 नबम्वर को दूसरे मराठा सेनापति यशवंतराव होल्कर ने इस क्षेत्र को विजित करने हेतु एक अभियान किया। अंगरेजी फौजों से कई स्थानों पर छिटपुट झड़पों के बाद कादरगंज में लार्ड लेक व होल्कर के मध्य 17 नबम्वर को हुए निर्णायक युद्ध में होल्कर की पराजय हुई और उसे यहां से हटना पड़ा।
इस क्षेत्र पर पूर्ण अधिकार स्थापित कर लेने के बाद 1811 में पटियाली में एक यूरोपियन अधिकारी को पदस्थ कर भूराजस्व की बसूली के प्रयास किये। 1816 मंे पटियाली हैडक्वार्टर को सिढ़पुरा स्थापित किया गया तथा कमिश्नर्स बोर्ड के सहायक सेक्रेटरी कालबर्ट को यहां का अधिकारी बनाया गया।
1816 में ही बिलराम, फैजपुर बदरिया, व सोरों के परगने तथा आधा मारहरा का भाग इटावा से हस्तांतरण कर अलीगंज में मिला अलीगंज को तहसील बनाया गया । जबकि एटा, सकीट व मारहरा का शेष भाग इटावा का ही अंग रहे।
1824 में इटावा के कुछ भूभाग मैनपुरी के कलक्ट्रेट तथा इटावा, बेला व सिढ़पुरा के उप कलक्ट्रेट में विभाजित किये गये। इस व्यवस्था में सिढ़पुरा में जिले का प्रायः आधा भाग शामिल था। अंगरेज अधिकारी हर्बट को यहां का डिप्टी कलक्टर बनाया गया। इन्होंने स्वेटन होम से सिढ़पुरा व सहावर तथा कलक्टर इटावा से एटा व सकीट प्राप्त किये। हर्बट के उपरान्त टर्नर तथा इसके बाद 1826 में न्यूहम आये।
कालांतर में बिलराम, फैजपुर बदरिया, सोरों तथा आधा मारहरा मिलाकर कासगंज तहसील बनाई गयी तथा इसे वर्तमान बदायूं जिले के पूर्ववर्ती सहसवान जिले से जोड़ा गया। इस समय हर्बट सिढ़पुरा का अंगरेज अधिकारी था।
स्वेटन होम के सिढ़पुरा के डिप्टी कलक्टर बनने के बाद सिढ़पुरा व सहावर परगनों के अतरिक्त इटावा कलेक्टर से एटा-सकीट व आधा मारहरा प्राप्त कर इन्हें भी स्वेटन होम को सोंप दिया गया। पर इसने सिढ़पुरा की जगह पुनः पटियाली को ही अपना मुख्यालय बना लिया।
1827 में बिलराम, फैजपुर बदरिया, सोरों व आधा मारहरा परगने के भूभागों को सहसवान जिले से हटाकर सिढ़पुरा से सम्बद्ध कर दिया गया किन्तु प्रशासनिक मुख्यालय को पटियाली से हटाकर फतेहगढ़ स्थानांतरित कर दिया गया।
1828 में इस क्षेत्र के अधिकारियों को मिले विशेष मजिस्ट्रेटी अधिकार बापस ले लिये गये किन्तु 1837 तक यह क्षेत्र मालगुजारी के लिए पृथक बना रहा। जबकि पटियाली को फरूखाबाद की आजमनगर तहसील में मिला दिया गया। सहसवान से प्राप्त परगने पुनः उसी को लौटाए गये तथा इटावा से प्राप्त परगने मैनपुरी को सोंप दिये गये। पर यह व्यवस्था भी कारगर न रही।
26 अप्रेल 1845 में पुनः एक नयी व्यवस्था बनाकर बेनयार्ड को इस क्षेत्र का ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व डिप्टी कलक्टर बनाया गया। बरना, आजमनगर व पटियाली को मिलाकर बनाई गयी फरूखाबाद जिले की आजमनगर तहसील, सकीट, सिढ़पुरा, सहावर-करसाना, एटा-सकीट व सोंहार परगनों को मिलाकर बनाई गयी सकीट तहसील तथा बिलराम, सोरों, फैजपुर बदरिया, उलाई व आधा मारहरा को मिलाकर कासगंज तहसील को इसके अधीन किया गया।
1847 में डिप्टी कलक्टर को स्वाधीन न रख इसे सम्बन्धि जिलों के कलक्टर के अधीन कर दिया गया। पर व्यवस्था के प्रभावी न हो पाने के कारण 1850 में इसे पुनः स्वाधीन कर दिया गया।
यह व्यवस्था भी जब कारगर सिद्ध न हुई तो 1852 के अंत में डिप्टी कलक्टर व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में एफ.ओ. मेयन की नियुक्ति की गयी। इसने प्रशासनिक हैडक्वार्टर को पटियाली से हटा जीटी रोड स्थित एटा ग्राम को बनाया। अंगरेजों ने भी 1854 में एटा को पूर्ण जिला बनाकर,अंगरेजों ने एफओ मेयन को ही यहां का पहला कलक्टर बना दिया।
1856 में ही मारहरा व पचलाना को अलीगढ़ से तथा 1879 में मथुरा से जलेसर परगना हटा इस नवसृजित जिले का भाग बनाने के पश्चात एटा जिले का जो मानचित्र सामने आया वह वर्ष 2008 तक यथावत बना रहा। तत्कालीन एटा जिले में जलेसर परगना को पृथक तहसील के रूप में सम्मिलित किया गया जबकि सकीट, सोंहार व मारहरा परगने एटा तहसील का भूभाग बने। वहीं आजमनगर, बरना, पटियाली व निधिपुर परगनों को मिलाकर अलीगंज तहसील को बनाया गया। बिलराम, पचलाना, फैजपुर बदरिया, सोरों, उलाई, सहावर व सिढ़पुरा कासगंज तहसील का भाग रहे। वर्ष 1982 में पटियाली को नया तहसील मुख्यालय बनाकर उसमें पटियाली, निधिपुर व सिढ़पुरा के परगने सम्मिलित कर दिये गये।
15 अप्रेल 2008 को तत्कालीन मायावती सरकार द्वारा कासगंज को नया जिला बनाने के बाद यह व्यवस्था बदली है। अब 6 परगने एटा जिले का, जबकि 9 परगने कासगंज जिले का भाग हैं।
एटा-कासगंज जिले के परगना
तत्कालीन एटा जिले में 15 परगने सम्मिलित किये गये थे। इनमें से- मारहरा, सकीट, सोंहार, आजमनगर, बरना व जलेसर, कुल 6 परगना अब एटा जिले का भूभाग हैं।
27.18 से 27.47 उत्तरी अक्षांश 78.11 से 79.17 पूर्वीदेशान्तर के मध्य अवस्थित जिले का क्षेत्रफल 2452.92 वर्गकिमी है जिनमें 855 आबाद तथा 28 गैरआबाद- कुल 883 गांव हैं। जबकि बिलराम, पचलाना, उलाई, सोरों, फैजपुर बदरिया, सहावर, सिढ़पुरा, पटियाली व निधिपुर, कुल 9 परगने कासगंज जिले के भूभाग हैं।

एटा जिले के परगने तथा उनके अंतर्गत गांव

1- एटा तहसील
27.20 से 27.47 उत्तरी अक्षंश तथा 78.25. से 78.56 पूर्वी देशान्तर के मध्य फैली एटा तहसील की दक्षिणी सीमा पर मैनपुरी व फिरोजाबाद जिले, पश्चिमी सीमा पर हाथरस जिला, उत्तरी सीमापर कासगंज जिला हैं। तहसील का क्षेत्रफल 1233.05 वर्गकिमी है। तहसील में 4 विकासखंड हैं। इनमें मारहरा विकासखंड का क्षेत्रफल 198.18 वर्गकिमी, निधौलीकलां विकासखंड का 348.74, शीतलपुर का 312.05 वर्गकिमी तथा सकीट का 392.52 वर्गकिमी क्षेत्रफल है। तहसील में सोंहार, सकीट व मारहरा- 3 परगने हैं। एटा तहसील में कोतवाली नगर, कोतवाली देहात, सकीट, मलावन, बागवाला, सकीट, रिजोर, निधौलीकलां, पिलुआ, मिरहची, मारहरा- कुल 10 पुलिस थाने तथा 1 महिला थाना हैं। तहसील शीतलपुर (एटा), सकीट, मारहरा तथा निधौलीकलां- 4 विकासखंडों में विभाजित है।

1. सोंहार
एटा तहसील का यह परगना महज 36 राजस्व ग्रामों का परगना है। इसके उत्तर में सिढ़पुरा, पूर्व में बरना, दक्षिण में मैनपुरी जिला तथा पश्चिम में सकीट परगने के भूभाग हैं। यह काली नदी के दायें तट पर स्थित है।
1872-73 के एटा गजेटियर के अनुसार इस परगने का कुल क्षेत्रफल 21926 एकड़ है। परगना के मलावन गांव में पुलिस थाना है।
सोंहार परगना संभवतः सकीट के शासकों से सम्बद्ध रहने के कारण यूं तो इतिहास में महत्वहीन रहा है किन्तु 1488-89 के कालखंड में उस समय चर्चा का विषय रहा है जब इटावा से लौट रहा तत्कालीन दिल्ली सुल्तान बहलोल लोदी सुल्तनत के विवरणों के अनुसार लू लगने से बीमार होने के कारण, जबकि सकीट के चैहानों के अनुसार मलगांव में चैहानों से हुए युद्ध में घायल होने के कारण सोंहार में रूका तथा यहीं उसकी मृत्यु हुई।
बहलोल की मृत्यु के बाद सोंहार में ही उसके सरदार नये सुल्तान के चयन के लिए एकत्रित हुए जहां खासे वाद-विवाद के अनुसार सिकन्दर लोदी का नये सुल्तान के रूप में चयन किया गया। सुल्तान बनने के बाद सिकन्दर लोदी ने सोंहार के समीप किन्तु बरना परगना में स्थित कठिंगरा(जहां इस काल में शाही शिकारगाह कुश्के-फिरोजी था) मंे अपना राज्यारोहण कराया। वैसे सोंहार स्वयं में काफी प्राचीन गांव रहा है। कवि भीमदेव बघेला द्वारा लिखित ‘चालुक्य वंस प्रदीप’ के अनुसार सौंहार की स्थापना सोरों/अतरंजीखेड़ा के चालुक्य शासक सोनमति द्वारा की गयी है।
परगने के गांव
सोंहार परगने में जिले के 1.अकबरपुर, 2.अयार, 3.अम्बरपुर, 4.कंगरौली, 5.कुंवरपुर नगरिया, 6.गढि़या सीलम, 7.जैतपुर, 8.जमालपुर, 9.जलालपुर सांथल, 10.जलालपुर पलरा, 11.ज्यौरी, 12.दतौली, 13.दुनइया, 14.दासपुर, 15.देवपुरा, 16.नूरपुर, 17.नगमई, 18.नगला हुरिया, 19.नगला रंजन, 20.नगरिया, 21.नवादा, 22.नरौरी, 23.पचलहरा, 24.फतेहपुरा, 25.विर्सिंगपुर, 26.मैनाठेर, 27.मलावन, 28.मुहम्मदपुर, 29.पूसाखेड़ा, 30.राजपुर, 31.रामनगर, 32.रसूलपुर, 33.लाखापुर, 34.सोन्सा, 35.सोंहार व 36.हरचंदपुर गांव हैं।
इनमें मैनाठेर, सोन्सा व सोंहार ऐतिहासिक महत्व के गांव हैं।

2. मारहरा
एटा तहसील का यह परगना जिले का पहला परगना है जिसके विवरण अलाउद्दीन खिलजी(1295-1315) के शासनकाल से मिलते हैं। हालांकि वर्तमान स्वरूप में कुछ बदलाव आया है किन्तु करीब-करीब समस्त वर्तमान क्षेत्र आरम्भ से इस परगने का भूभाग रहा है। वर्तमान में इस परगने मंे 169 राजस्व गांव हैं। जिले के मिरहची, मारहरा, निधौलीकलां तथा पिलुआ थानाक्षेत्र मारहरा परगने में ही हैं। साथ ही परगने का कुछ भाग कोतवाली देहात थानाक्षेत्र के अंतर्गत भी आता है।
अकबर के राज्यकाल में यह दस्तूर का मुख्यालय रहा है। फर्रूखशियर द्वारा 1713 में जहांदारशाह के वध के बाद इसे मुजफ्फरनगर के बराह के सैयदों की जागीर में दिया था। इसने राजपूतांे के नियन्त्रण से इसे अपने अधिकार में लिया था।
1738 मं इस परगने के 117 गांव तथा नीलगिरां पट्टी नबाव फरूखाबाद के अधिकार में आयी जबकि भैरों पट्टी सहित 62 गांव अवध के नबाव अब्दुल मंसूरखान सफदरजंग के अधिकार में माने गये। अवध के भाग को ‘किस्मत सानी’ कहा गया जबकि फरूखाबाद का भूभाग ‘किस्मत अब्बल’ कहलाया।
फरूखाबाद के बंगश नबाव की मौत के बाद 1748 में किस्मत अब्बल वाला भाग भी अवध के राज्य का भाग बना। यहां उसका वजीर नवलराय प्रबंधक बना। इसे अहमदखां ने मारा। यह घटनाक्रम अवध के नबाव को मारहरा लाने का कारण बना। सफदरजंग ने मारहरा से ही फरूखाबाद के बंगश नबाव के विरूद्ध अभियान किया।
1751 में बंगश-सफदर में हुए समझौते में मराठा सेनाओं का व्यय फरूखाबाद द्वारा दिए जाने की संधि के चलते यह भूभाग मराठाओं के अधिकार में आया किन्तु कुछ ही समय बाद इसे बंगश नबाव अहमदखां द्वारा मराठाओं से वापस ले लिया गया। 1772 मं यह क्षेत्र फिर अवध के अधिकार में आ गया जहां यह 1801 तक रहा। 1802 में किस्मत सानी क्षेत्र ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अवध नबाव से समझौते में ले लिया गया। 1804 ई0 में हुए लार्ड लेक के दिल्ली अभियान के समय यह पूरा क्षेत्र ब्रिटिश अधिपत्य में आ गया।
इस परगने के उत्तर में बिलराम, पश्चिम में अलीगढ व मथरा जिला, दक्षिण में परगना मुस्तफाबाद(पहले मैनपुरी तथा अब फिरोजाबाद का भाग), पूर्व में परगना एटा-सकीट तथा सहावर-करसाना हैं।
1872-73 के ब्रिटिश गजेटियर के अनुसार इस परगने का क्षेत्रफल 122778एकड़ है।
इस परगने की एक खास बात यह भी है कि जिस मारहरा नाम से यह परगना है तथा भौगोलिक धरातल पर एक शहर भी है उस मारहरा के नाम से पूरे परगने में कोई राजस्व गांव नहीं है।
परगने के गांव
1.अखतौली, 2.नयाबांस, 3.अचलपुर, 4.अढ़ापुरा, 5.अब्दुल्लापुर देहमाफी, 6.अमृतपुर, 7.अमीरपुर, 8.आहरमई, 9.अहमदनगर बमनोई, 10.आजमपुर, 11.इस्लामपुर पीली, 12.अमरपुर भूडि़या, 13.ओरनी, 14.कमरैटा, 15.कुबादगंज, 16करूआमई, 17.कल्याणपुर लालपुर, 18.काजीखेड़ा, 19.करीमपुर माफी, 20.किशनपुर, 21.कुंवरपुर चंद्रभानपुर, 22.कुटैना माफी, 23.खकरई, 24.खंगारपुर दौलतपुर, 25खेड़ा, 26.ख्वाजगीपुर, 27.गदनपुर, 28.गढ़वाला, 29.गहराना, 30.गहेतू, 31.गुढ़ा, 32.गोकुलपुर, 33.गोकनी, 34.गोबरा, 35.गोशलपुर, 36.रफीपुर चाठी,
37.जिटौली, 38.जारथल, 39.जिन्हैरा, 40.जोगामई, 41.झिनबार, 42.डिंडौली, 43.तातारपुर अब्बल, 44.तातारपुर दोयम, 45.तातारपुर माफी, 46.तरबपुर माफी, 47.त्रिलोकपुर, 48.दतेई, 49.दस्तमपुर, 50.धनिगा, 51.धरपसी, 52.धिरामई पांच बस्ता, 53.धिरामई पौने दस बस्ता, 54.धिरामई सवा पांच बस्ता, 55.धौलेश्वर, 56.नगला किमिया, 57.नगला ख्याली, 58.नगला खिल्ली, 59.नगला पुन्नी, 60.नगला फकीर, 61.नगला बरी, 62.नगला बंदी, 63.नगला भूरा, 64.नगला टूली, 65.नगला संत, 66.नगला श्याम, 67.नवीनगर, 68.नरहोली, 69.नाडर, 70.नावली, 71.निजामपुर, 72.निधौलीकलां, 73.नौजरपुर, 74.पचपेड़ा, 75.परतापपुर सानी, 76.परतापपुर राजा, 77.पलिया, 78.पिथनपुर, 79.पिदौरा, 80.पिपहरा, 81.पृथ्वीपुर, 82.पिलुआ, 83.पिवारी, 84.पैसई,
85.फतेहपुर खालसा, 86.फतेहपुर माफी, 87.फरीदपुर, 88.फीरोजपुर सिलौनी, 89.बड़ागांव, 90.बढ़ोली, 91.बबुआ, 92.बरई, 93.बरिगवां, 94.बंथल कुतकपुर, 95.बसुन्धरा, 96.बावसा, 97.बिदिरिका, 98.बीरपुर, 99.बुढ़ैना, 100.बुरहनाबाद, 101.बुढैरा, 102.भटपुरा, 103.भदुआ, 104.भड़ैरा, 105.भदवास, 106.भुरगवां, 107.भोजपुर, 108.भोपतपुर, 109.मंगरौली, 110.मझराऊ, 111.मनौरा, 112.मरगांया, 113.महमूदपुर नगरिया, 114.मुहारा, 115.मिरहची, 116.मीरापुर, 117.मुखरना, 118.मुनब्बरपुर, 119.मुहम्मदी, 120.मुईउद्दीनपुर, 121.मुमिंयाखेड़ा, 122.मेहिनी शोरा, 123.यादगारपुर,
124.रामपुर 125.रफतनगर सेंथरा, 126.रमण्डपुरा, 127.रसूलपुर गढ़ौली, 128.रसीदपुर खालसा, 129.रसीदपुर माफी, 130.रामनगर, 131.रामई टोडरशाह, 132.रामई हेतमशाह, 133.रूस्तमगढ़, 134.लालपुर देहमाफी, 135.लहरा, 136.लोधामई, 137.समसपुर, 138.श्यौराई, 139.शहबाजपुर, 140.सोनौठ, 141.सरनऊ, 142.सिंधावली, 143.सिरसाटिप्पू, 144.सिरसाबदन, 145.सराय अहमदखां, 146.सराय जरेलिया, 147.सराय मूलेखां, 148.सुलहपुर माफी, 149.सामन्तखेड़ा, 150.साऊसपुर, 151.सिडरई, 152.सुन्ना सिहोरी, 153.सुपैथी, 154.सोंगरा, 155.सोरखा, 156.सूरतपुर माफी, 157.सीय, 158.हजर्रापुर, 159.हजरतपुर करनपुर, 160.हरसिंगपुर, 161.हुसैनपुर ककराला, 162.हार नीलगिरां, 163.हिम्मतपुर, 164.हयातपुर माफी, 165.हयातपुर माफी, 166.हिम्मतनगर बझेरा, 167.हुसैनपुर, 168.हुसैन चक, 169.होर्ची।

3. सकीट
उत्तर-पश्चिम में मारहरा परगना, दक्षिण-पूर्व में मैनपुरी जिला, उत्तर व उत्तर-पूर्व में सहावर-करसाना परगना व सिढ़पुरा, पूर्व में सिढ़पुरा तथा दक्षिण में मैनपुरी जिले से घिरा यह परगना जिले का सबसे बड़ा परगना है। इस परगना में 285 राजस्व ग्राम हैं। इस परगना में कोतवाली नगर व कोतवाली देहात थाना एटा नगर में स्थित हैं। जबकि सकीट, रिजोर तथा बागवाला पुलिस थाने सम्बन्धित गांवों में हैं। जिले का महिला थाना भी एटा नगर में है।
1857 से पूर्व इस परगना के एटा क्षेत्र के भूभाग का स्वामित्व एटा के अंतिम नरेश महाराजा डम्बर सिंह व उनके पूर्वजों तथा सकीट के कुछ भूभाग का स्वामित्व रिजोर नरेश खुशालसिंह व उनके वंशजों के पास था। किन्तु एटा नरेश तथा नाबालिग रिजोर नरेश के सर्वराकर के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने के चलते दोनों रियासतें अंग्रेजी कोप का शिकार बनी। एटा के राजा डम्बर सिंह की तो उनकी पत्नी के गुजारे के लिए 7 गांव छोड़कर उनकी करीब 2.5 लाख वार्षिक राजस्व की सम्पूर्ण रियासत ही जब्त कर ली गयी जबकि रिजोर नरेश को उनकी नाबालिगी का लाभ देते हुए उनसे राजा का खिताब तथा रियासत का कुछ भाग छीना गया था।


परगने के गांव
1.अचलपुर, 2.अचलपुर, 3.अंगदपुर, 4.अंतरामपुर, 5.अरथरा, 6.असरौली, 7.अहमदाबाद, 8.अहमदनगर, 9.आसपुर, 10.इब्राहीमपुर नगरिया, 11.इशारा पूर्वी, 12.इशारा पछांई, 13.उद्दनपृर 14.उलेरू, 15.उमरायपुर अरथरा, 16.उमरायपुर फफोतू, 17.उमरायपुर बीगौर, 18.उमरायपुर रिजोर, 19.उम्मेदपुर रिजोर, 20.उम्मेदपुर सेना, 21.एटा 22.औन, 23.ककरावली, 24.कदमपुर, 25.कबार, 26.कबीरपुर मौजा पहरा, 27.कम्मापुर, 28.कमालपुर मई, 29.कालेपुर(कमालपुर), 30.कमालपुर बरौली, 31.कंसुरी, 32.कमसान, 33.करतला, 34.करमचंदपुर, 35.करीमपुर, 36.कुल्ला हबीबपुर, 37.कसैटी, 38.कासिमपुर, 39.कासौन निजामपुर, 40.किशनपुर कबार, 41.किशनपुर लोया, 42.किशनगढ़, 43.कीलरमंऊ, 44.कुनैठा ताल्लुका बरौली, 45.कुतकपुर कुंदनपुर, 46.कुतकपुर मजरा ओंन, 48.कुनावली, 49.कुरीना दौलतपुर, 50.कौंची, 51.कोयना, 52.कुसाड़ी, 53.कठौली,
54.खुटियाना, 55.खड़ौआ, 56.खरगपुर, 57.खुशालगढ़, 58.खेरिया, 59.खेडि़या मजरा औन, 60.गढि़या कौंची, 61.गढि़या यादगारपुर, 62.गढ़ी ताल्लुका बरौली, 63.गिरौरा, 64.गुलरिया, 65.गुमानपुर, 66.गाजीपुर पहोर, 67.घुटिलई, 68.घुमरिया, 69.घिलउआ, 70.चकचैंधा, 71.चक गढि़या, 72.चक रामनगर, 73.चपरई सिकन्दरपुर, 74.चमकरी, 75.चाचरमउ, 76.चांदपुर जिन्दाहार, 77.चांदपुर लोकसपुर, 78.चांदपुर सकीट, 79.चिलमापुर, 80.चिन्तापुर, 81.चिलासनी, 82.चुरैथा, 83.चैंचा वनगांव, 84.छछैना, 85.छितौनी, 86.जगतपुर, 87.जंगलपुर, 88.कमसान, 89.जार, 90.जावड़ा, 91.जावड़ा, 92.जवाहरपुर बरौली, 93.जवाहरपुर अर्थरा, 94.जंहागीराबाद, 95.जिरसिमी, 96.जीसखपुर एटा, 97.जीसखपुर सानी, 98.जीसखपुर (नगला बरी), 99.
100.डांडा, 101.लालडुडवारा, 102डूंगरपुर, 103.तालिबपुर, खेडि़या, 104.ताहरपुर बरौली, 105.थरौली, 106.दत्तपुर रिजोर, 107.दत्तपुर कुंजपुर, 108.दलपुर 109.दलेलपुर, 110.दूल्हापुर, 111.धारिकपुर अर्थरा, 112. 113.धारिकपुर लोहा, 114.धुआई, 115.नरहरा, 116.नगला अन्नी, 117.नगला बाचा, 118.नगला बिके, 119.नगला भजुआ, 120.नगला वीरसहाय, 121.नगला पवल, 122.नगला छीतली, 123.नगला जगरूप, 124.नगला धीमर, 125.नगला रंजी, 126.नगला फरीद, 127.नगला काजी, 128.नगला किसी, 129.नगला खंगार, 130.नगला खोकर, 131.नगला गलू, 132.नगला निरोती, 133.नगला हरीकिशनपुर 134नगला हम्मीर, 135.नन्दपुर खोंडरा,
136.नंदपुर नगला भजुआ, 137.नेहचलपुर अर्थरा, 138.नेहचलपुर लोया, 139.नाजिरपुर, 140.नासिरपुर, 141.निगोह हसनपुर, 142.निधौली खुर्द, 143.न्यौराई, 144.नेकपुर, 145.नैनपुर, 146.पिपहरा, 147.परतापपुर, 148.पृथ्वीराजपुर, 149.पवांस, 150.पूठ, 151.पुरा, 152.पुरांव, पहरा मजरा कबीरपुर, पहरई, पीपलखेडि़या, 157.फफोतू, 158.फतेहपुर, 159.बैसखेरिया, 160.बीगौर, 161.बैंदुला, 162.बहलोलपुर, 163.बारथर, 164.बाबरपुर, 165.बाजीदपुर बरौली, 166.बागवाला, 167.बाकराबाद, 168.बाबली, 169.वाहनपुर, 170.बबरौती नसीरपुर, 171.बिजौरी, 172.वक्शीपुर खास, 173.वक्शीपुर रिजोर, 174.बनहरा मजरा करतला, 175.बमनई, 176.बहादुरपुर, 177.बहादुरगढ़, 178.बरथरी, 179.बराखेड़ा, 180.बरौली,
181.बिक्रमपुर, 182.बिधीखेडि़या, 183.ब्रिंदावन, 184.बिरामपुर एटा 185.बिरामपुर सकीट, 186.भागपुर बरौली, 187.भटमई, 188.भदौं, 189.भगवन्तपुर, 190.भगीपुर, 191.भरतोली, 192.भूपालपुर, 193.भोगपुर, 194.मऊ ताल्लुका बरौली, 195.मधूपुरा, 196.मनसुखपुर, 197.मंसूरनगर, 198.मनूपुर, 199.मरथरा भगवानदास1, 200.मरथरा भगवानदास2, 201.मरजादपुर, 202.मिलिक छछैना, 203.मिलिक बनहरा, 204.मानिकपुर, 205.महगानी, 206.महुअट, 207.मानपुर, 208.मानिकपुर, 209.मिर्जापुर कबीरपुर, 210.मिर्जापुर सई, 211.मिश्री, 212.मिलावली, 213.मुक्तायलपुर, 214.मुजफ्फरपुर हिरोंदी, 215.मुस्तफापुर राजपुर, 216.मुबारिकपुर रिजोर, 217.मुबारिकपुर छछैना, 218.मुबारिकपुर निबरूआ, 219.मुबारिकपुर सराय, 220.महमूदपुर नगला बेला, 221.यादगारपुर दौलतपुर, 222.यूसुफपुर नगला धनी, 223.रजकोट, 224.रजपुरा, 225.रसकपुर,
226.रामपुर कीलरमऊ, 227.रामगढ़, 228.राधेनगर, 229.रामनगर जलालपुर, 230.रामनगर रिजोर, 231.रामपुर घनश्याम, 232.रारपट्टी, 233.रिजोर, 234.रैवाड़ी, 235.लखमीपुर, 236.लभैटा, 237.लालगढ़ी, 238.लालपुर बरौली, 239.लोथरा, 240लोया बादशाहपुर प्रीतमसिंह, 241.लोया बादशाहपुर बलबंतसिंह, 242.नंदपुर बेलामई, 243.वाहिद बीबीपुर, 244.सरफुद्दीन हुसैनपुर, 245.शहवाजपुर, 246.श्यामपुर वीरान, 247.शिवसिंहपुर नगला निजाम, 248.शाहआलमपुर, 249.शाहपुर मानिकपुर, 250.शाहपुर मिलावली, 251.सउआपुर, 252.सकतपुर एटा 253.सकतपुर सकीट, 254.सकीट, 255.सदरपुर,
256.सफेदपुर, 257.सबलपुर, 258.सदलगढ़, सदरपुर, 259.सराय जवाहरपुर, 260.सलेमपुर कुंवरपुर, 261.सलेमपुर खेडि़या, 262.सलेमपुर सराय, 263.सलेमपुर सानी, 264.साइसपुर बरौली, 265.साइसपुर सकीट, 266.सिकन्दपुर रिजोर, 267.सिंगपुर फफोतू, 268.सिंगपुर लोया, 269.सिरांव, 270.सिंघपुर, 271.शीतलपुर, 272.सरजनपुर, 273.सुन्दरपुर, 274.सेनाकलां, 275.सैंथरी, 276सैदपुर, 277.सैलार, 278.हरनावली, 279.हरचंदपुर कलां, 280हरचंदपुर खुर्द, 281.हसनपुर, 282.हसनपुर मलौदिया, 283.हिम्मतपुर चाचरमउ, 284.हिम्मतपुर नासिरपुर, 285.हैदरपुर।
2- जलेसर तहसील
जिले के दक्षिणी-पश्चिमी छोर पर स्थित यह तहसील 27.28 से 27.35 उत्तरी अक्षांश तथा 78.11 से 7831 पूर्वी देशान्तर के मध्य फैली है। इस तहसील की लम्बाई उत्तरी-पूर्वी सीमा पर मात्र 16 किमी है। तहसील के उत्तर में हाथरस तथा दक्षिण में आगरा जिला हैं। दक्षिणी-पूर्वी सीमा फिरोजाबाद तथा पश्चिमी सीमा हाथरस जिले से लगती है। तहसील का क्षेत्रफल 581.6 वर्गकिमी है। तहसील में अवागढ व जलेसर- दो विकासखंड हैं। इनमें जलेसर विकासखंड का क्षेत्रफल 300.67 वर्गकिमी तथा अवागढ़ विकासखंड का क्षेत्रफल 280.93 वर्गकिमी है। तहसील में एकमात्र परगना जलेसर है।

4. जलेसर
1889 में एटा जिले का भाग बना जलेसर परगना 151 राजस्व गांवों का एकमात्र ऐसा परगना है जहां एक ही परगने पर तहसील कायम है। इस परगना तहसील में- जलेसर, सकरौली व अवागढ़- 3 थानाक्षेत्र हैं।
परगने के गांव
1.अकबरपुर साथा, 2.अकबरपुर हवेली, 3.अताउल्लापुर, 4.अब्दुल हई पुर, 5.अवागढ़, 6.अरबगढ़, 7.आराजी वीरहार, 8.इब्राहीमपुर, 9.इसौली, 10.अगरपुर, 11.उड़ेरी, 12.ओनेरा, 13.ऊंचागांव, 14.कपरई, 15.करथनी, 16.करहला 17.कासिमपुर, 18.कुजलपुर, 19.कोसमा, 20.कुसवा, 21.किसर्रा अमृतपुर, 22.खटौटा, 23.खानपुर, 24.खेड़ा ग्वारऊ, 25.खेड़ा नूंह, 26.खेडि़या ताज, 27.खैरारा, 28.गदेसरा, 29.गनेशपुर, 30.ग्यालियारा, 31.गहला, 32.गुदाऊ, 33.गोपालपुर, 34.गादुरी, 35.गोरखपुर, 36.चिरगंवा, 37.जिनावली, 38.चुरथरा, 39.जमालपुर गादुरी, 40.जमालपुर दुर्जन, 41.जरानी खुर्द कलां, 42.जमों, 43.जलूखेड़ा
44.जलेसर, 45.जैनपुरा, 46.टिकाथर, 47.तखावन, 48.तिसार, 49.दलशाहपुर, 50.दुल्हा, 51.दौलतपुर गिलौला, 52.दौलतपुर मुश्की, 53.देवकरनपुर, 54.दोषपुर, 55.नगला अन्नी, 56.नगला चांद, 57.नगला धारा, 58.नगला मितन, 59.नगला मीरा, 60.नगवाई 61.नगला सुखदेव, 62.नरौरा, 63.नरहुली, 64.नारऊ वीरनगर, 65.नीमखेडा़, 66.नौह खास, 67.पटना, 68.पवरा, 69.पवाह, 70.पसियापुर बेगमपुर, 71.पाईन्दापुर, 72.पहाड़मलपुर, 73.पिलखतरा, 74.पुन्हैरा, 75.पोंडरी, 76.फरीदपुर, 77.बछेपुरा, 78.बढ़ावली, 79.बढ़नपुर कुन्जलपुर, 80.बुधैरा, 81.बदनपुर काजीपुर, 82.ब्रजपुर चंदा, 83.बनवारीपुर, 84.बरा भौंडेला, 85.बरई कल्यानपुर, 86.बीरनगर,
87.बलीपुर उर्फ नगला बाले, 88.बलेसरा, 89.बारा समसपुर, 90.बाबरपुर, 91.बिचपुरी, 92.बिशनीपुर, 93.बेरनी, 94.बेगमपुर, 95.बेर्राकलां, 96.बोर्राखुर्द 97.बहादुरपुर कासिमपुर, 98.भ्याऊ, 99.मई, 100.मकसूदपुर, 101.मुढ़ई प्रहलादनगर, 102.मंडनपुर, 103.मुड़सवां, 104.महानमई, 105.महकी खुर्द कलां, 106.मिसौली, 107.मितारौल, 108.मिर्जापुर गौसपुर, 109.मीसाकलां, 110.मौजमपुर, 111.मुकुटपुर, 112.मौहब्बतपुरा, 113.मोहब्बतपुर गहरवार, 114.मुहम्मदपुर उर्फ भूड़गड्ढा, 115.मोहनपुर, 116.रनौसा, 117.रेजुआ, 118.रोहिना मिर्जापुर, 119.रजानगर, 120.रसीदपुर, 121.रसीदपुर खेडि़या, 122.रसीदपुर मितरौल, 123.राजारामपुर उर्फ गड्ढा, 124.राजमलपुर टिमरूआ, 125.रामरायपुर, 126.लखमीपुर, 127.लोहचा नाहरपुर, 128.लोधीपुर, 129.बलीदादपुर, 130.शकरौली, 131.शमसपुर, 132.शहनौआ,
133.मीसा खुर्द, 134.सरानी, 135.सरकरी, 136.सराय राजनगर, 137.सराय नींम, 138.सालवाहनपुर, 139.साथा नवीपुर, 140.सिकन्दरपुर मढ़ी, 141.सिरगंवा, 142.शाहनगर टिमरूआ, 143.सकरा, 144.सिमराऊ, 145.सिलामई, 146.सोना, 147.हबीबुल्लापुर, 148.हसनअलीपुर बसई, 149.हसनगढ़, 150.हादीदादपुर, 151.हिनौना।

3- अलीगंज
जिले के दक्षिणी-पूर्वी छोर पर स्थित यह तहसील 27.19 से 27.37 उत्तरी अक्षांश तथा 78.52 से 79.17 पूर्वी देशान्तर के मध्य फैली है। तहसील के पूर्व में फरूखाबाद, उत्तर में कासगंज, दक्षिण मं मैनपुरी जिले हैं। तहसील का क्षेत्रफल 632.71 वर्गकिमी है। तहसील में अलीगंज व जैथरा- 2 विकासखंड हैं। इनमें अलीगंज विकासखंड का क्षेत्रफल 339.94 वर्गकिमी है, जबकि जैथरा का 309.19 वर्गकिमी। तहसील में आजमनगर व बरना- 2 परगने हैं। तहसील में- अलीगंज, जैथरा, नयागांव, जसरथपुर व राजा का रामपुर- 5 थानाक्षेत्र हैं।

5. आजमनगर
उत्तर व पश्चिम में पटियाली परगना, पश्चिम में सिढ़पुरा व बरना, दक्षिण में मैनपुरी तथा पूर्व में फरूखाबाद से घिरा आजमनगर परगना कहते हैं कि अतीत में शम्शाबाद परगने के उस भाग पर बनाया गया है जिसे तत्कालीन कंपनी सरकार ने फरूखाबाद के बंगश शासकों से लिया था।
तहसील अलीगंज के इस परगने में 228 राजस्व ग्राम हैं।
परगने के गांव
1.अकबरपुर कोट, 2.अकबरपुर केशोराय, 3.अकबरपुर लालसहाय, 4.अगौनापुर, 5.अंगदपुर, 6.अंगरैया गंगाई, 7.अंगरैया जमुनाई, 8.अमोगपुर भाटान, 9.अमोगपुर ब्रहमनान, 10.अर्जुनपुर सिमरई, 11.अलीगंज, 12.अलीपुर, 13.अलीयापुर, 14.अलहदादपुर, 15.अब्दुल्लापुर, 16.अमृतपुर रघूपुर, 17.अमरोली रतनपुर, 18.आसलपुर इस्माहिलपुर, 19.अहमदपुर, 20.उभई असदपुर, 21.इमादपुर, 22.इस्माइलपुर, 23.अहरई विचनपुर, 24.औरंगाबाद, 25.ककराला, 26.कुकराया रतनपुर, 27.ककोड़ा, 28.कछियावाड़ा, 29.कुतलूपुर आसेपुर, 30.कंचनपुर आसेपुर, 31.कलन्दरनगर, 32.कलुआपुर टीलपुर, 33.किनोड़ी खैराबाद, 34.किशनपुर, 35.कलिंजर, 36.कनेसर नगला डब्लू, 37.कैला, 38.कुदेसा हरदेपुर, 39.कूल्हापुर खुर्द, 40.कूल्हापुर बुजुर्ग, 41.कुढ़ा, 42.खतिया, 43.खरसुलिया, 44.खेडि़या पमारान,
45.खिरिया नगरशाह, 46.खिरिया बनार, 47.खैरपुरा उर्फ सिकन्दरपुर सालवाहनपुर, 48.गढि़या जगन्नाथ, 49.गढिया धौकल, 50.गढ़ी खेड़ई, 51.गढी रोशन 52.गनपतिपुर बढ़ापुर, 53.गही, 54.गुलशनाबाद, 55.गलारपुर, 56.गंगपुर, 57.गैसिंगपुर, 58.गुहटिया खुर्द कलां, 59.गुनामई, 60.गौरा चम, 61.चकतराई, 62.चकधो्रधा, 63.चकपहाड़ा, 64.चकमीरापुर, 65.चंदनपुर, 66.चिलौला, 67.चैकी अतनपुर, 68.जमलापुर, 69.जमालपुर मजरा भरगैन, 70.जसरथपुर, 71.जहांगीरपुर, 72.जहाननगर, 73.जाजलपुर, 74.जानीपुर, 75.जिटौरा भान, 76.जिनासी, 77.जिरौलिया, 78.जुनैदपुर, 79.जैथरा, 80.झकरई, 81.टिकैतपुरा, 82.ढर्रा, 83.डाडा, 84.ढिवैया अख्तारपुर, 85.ढटींगरा, 86.तमरौरा, 87.टिमरूआ शिरोमणि, 88.तरगंवा,
89.तिगरा भमौरा, 90.ताजपुर अद्दा, 91.ताजपुर तिगरा, 92.तिसौरी, 93.तुगई, 94.तोसईया किसानान, 95.तोसईया मलूक, 96.थाना दरियाबगंज, 97.दतौली, 98.दहेलिया पूठ, 99.दादूपुर खुर्द, 100.दाउदगंज, 101.दादोपुर असगरपुर, 102.देवतरा, 103.दिउना, 104.दिउरैया, 105.धरसेपुर, 106.धरौली, 107.दहलई, 108.गेबर असदुल्लापुर, 109.नकटई कलां, 110.नकटई खुर्द, 111.नगरिया उर्फ सिकन्दरपुर, 112.नगला अचल, 113.नगला अमीर, 114.नगला उमेद, 115.नगला गिरधर, 116.नगला गुलरिया, 117.नगला दयाल, 118.नगला नौगजा, 119.नगरिया पैढ खरसेला, 120.नगला सावां, 121.नगला परम, 122.नगला बल्लम, 123.नगला साबा, 124.नथुआपुर, 125.नदराला, 126.नवादा, 127.नयागांव, 128.नई मुसियार, 129.नाबर, 130.नौगवां चहका, 131.पचन्दा, 132.परतापपुर कटारा, 133.पलरा, 134.परधनापुर, 135.पहाड़पुर, 136.मायमझेता चक न01,
137.पिपरगांव, 138.पुरंजला, 139.पुराहार बुलाकीनगर, 140.पिजरी गम्भीर सिंह, 141.पिंजरी सुमेर सिंह, 142.फतेहपुर, 143.फरसौली, 144.पहरैया, 145.फिरोजपुर उर्फ फर्दपुर, 146.परौली सुहागपुर, 147.बुधूपुर गढि़या, 148.बधौली, 149.बनिया ढहरा, 150.बनी, 151.बरईपुर, 152.बल्लूपुर, 153.बादूपुरा, 154.बिचपुरी इमादपुर, 155.बिछन्द पहाड़पुर, 156.बिछौरा गंग, 157.विजयपुर, 158.विजैदपुर, 159.बिजौरा स्वर्गद्वारी, 160.विल्सढ़ पट्टी, 161.विल्सढ़ पछांया, 162.विल्सढ पुवांया, 163.विलासवास, 164.विथरा, 165.वीरपुर, 166.बहगौं, 167.भदकी, 168.भदुइयामठ, 169.भरापुरा, 170.भरगैन मशरक, 171.भमौरा, 172.भलौल, 173.भवनपुर, 174.भुजैला, 175.मझोला, 176.मितौलिया, 177.मंसुलिया, 178.मोहकमपुर, 179.महाखेड़ा, 180.महाराजपुर, 181.मिहुता, 182.मिल्क इलाकी, 183.माया चक नगला इन्धीर, 184.मुहम्मदपुर पट्टी,
185.मुहम्मदनगर बझेरा, 186.मेदूपुरा, 187.मेदपुर, 188.मौजपुर, 189.मंगदपुर, 190.इकौटी, 191.रजबपुर, 192.रतनपुर फतियापुर, 193.रन्धीरपुर, 194.रसूलपुर, 195.राजा का रामपुर, 196.रामनगर, 197.रामनगरिया आशाराम, 198.राया, 199.राई, 200.रूस्तमनगर, 201.रौरी समौगर, 202.लुतफुल्लापुर उर्फ लडसिया, 203.लाड़मपुर कटरा, 204.लाड़मपुर बुजुर्ग, 205.ललहट, 206.लुहारीखेड़ा, 207.लुहारी गनी, 208.सधेरा, 209.सराय अगहत, 210.श्रीनगला, 211.सरौतिया, 212.सरौठ पछाया, 213.सरौठ पुवांया, 214.सलैमपुरा, 215.सुमौर, 216.ससौता जगदीश, 217.ससौता दोषपुर, 218.सहोरी, 219.साढ़रपुर, 220.सहादतनगर, 221.सिकन्दरपुर फैरू, 222.सिकन्दरपुर कहोता, 223.सोखा, 224.शाहपुर टहला, 225.शिकारपुर, 226.हत्सारी, 227.हरवेगढि़या, 228.हरसिंगपुर।

6. बरना
यह भी तहसील अलीगंज का परगना है। यह उत्तर में सिढ़पुरा, पूर्व में आजमनगर, दक्षिण में मैनपुरी जिले का कुरावली तथा पश्चिम में सोंहार परगना से घिरा बरना 40 राजस्व ग्रामों का परगना है। 1872-73 के गजेटियर के अनुसार इसका क्षेत्रफल 24573 एकड़ है।
परगने के गांव
1.उदयपुरा, 2.कल्यानपुरा, 3.कस्तूरपुरा, 4.कसैला, 5.श्रवता, 6.कठिंगरा, 7.खिरिया, 8.खेडि़या मजरा कस्तूरपुरा, 9.खेतूपुरा, 10.गांगूपुर, 11.गांगूपुरा, 12.गुलनगरिया, 13.चकमेरापुर, 14.रूपधनी, 15.चकसिराऊ, 16.चिलमापुर, 17.टिकाथर, 18.ततरई, 19.दहेलिया, 20.दौलतपुरा, 21.धुमरी, 22.नखतपुरा, 23.निजामाबाद, 24.फगनौल, 25.बाजीदपुर, 26.बरना, 27.बरौलिया, 28.बसंतपुर, 29.मिडिया उर्फ मधुवन, 30.भाऊपुरा, 31.मानिकपुरा, 32.मुहीउद्दीनपुर, 33.लालपुर जहांगीराबाद, 34.सदियापुर, 36.सिराऊ, 37.सलेमपुर, 38.शेखपुरा, 39.हरसिंहपुर, 40.हाजीपुर

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